Monday 19 December 2022

आबकारी विभाग, मध्यप्रदेश के अंतर्गत आबकारी आरक्षक (कार्यपालिक) पदों की सीधी एवं बैकलाग भर्ती परीक्षा 2022

आबकारी विभाग, मध्यप्रदेश के अंतर्गत आबकारी आरक्षक (कार्यपालिक) पदों की सीधी एवं बैकलाग भर्ती परीक्षा 2022


आवेदन पत्र -  आरंभ करने की तिथि: 10 Dec 2022 | अंतिम तिथि: 24 Dec 2022

भुगतान पश्चात संशोधन - आरंभ करने की तिथि: 10 Dec 2022 | अंतिम तिथि: 29 Dec 2022



Thursday 31 December 2020

एमपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2020

 MP Police Constable Recruitment 2020: प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड, भोपाल (PEB) ने मध्यप्रदेश पुलिस में सिपाही के करीब 4000 पदों पर भर्ती का विस्तृत नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। नए नोटिफिकेशन के अनुसार, ऑनलाइन आवेदन 31 दिसंबर 2020 से शुरू होंगे। ऑनलाइन आवेदन की आखिरी तारीख 14-01-2021 निर्धारित की गई है। एमपी पुलिस में आरक्षक (Constable) के पदों पर आवेदन करने के इच्छुक अभ्यर्थी mponlne.gov.in या peb.mp.gov.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड की ऑफिशियल वेबसाइट पर इस भर्ती का विस्तृत नोटिफिकेशन भी जारी किया गया है। आप यहां नीचे दिए लिंक पर भी यह नोटिफिकेशन PDF फॉर्मेट में देख/डाउनलोड कर सकते हैं।





6 मार्च 2021 से प्रारंभ होगी लिखित परीक्षा
एमपी पीईबी के विस्तृत नोटिफिकेशन के अनुसार, 4000 आरक्षक के पदों के लिए लिखित परीक्षा 06 मार्च 2021 से दो पालियों में आयोजित की जाएगी।

पहली पाली की परीक्षा सुबह 9 बजे से शुरू होगी। इसके लिए परीक्षा केंद्र में रिपोर्टिंग का समय सुबह 7 से 8 बजे तक रहेगा। परीक्षा के निर्देश पढ़ने को 8:50 से 9 बजे तक (10 मिनट) रहेगा। परीक्षा दो घंटे की होगी।

दूसरी पाली की परीक्षा दोपहर बाद 3 बजे से शुरू होगी, इसके लिए रिपोर्टिंग का समय 1 बजे से 2 बजे तक और 2:50 से 3  बजे तक निर्देश पढ़ने का समय दिया जाएगा। 3 पजे पेपर शुरू होगा और 5 बजे कॉपी छीन ली जाएगी।
 

भर्ती रूलबुक जारी होने देरी पर भड़के अभ्यर्थी:
इससे पहले एम पुलिस भर्ती का नोटिफिकेशन जारी किए जाने में देरी को लेकर सोशल मीडिया पर एमपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती की आवेदन प्रक्रिया शुरू होने का इंतजार कर रहे युवाओं का गुस्सा फूट पड़ा था। ट्विटर और फेसबुक दोनों पर परीक्षा की तैयारी कर रहे युवा पूछ रहे थे कि आवेदन प्रक्रिया अभी तक शुरू क्यों नहीं हो सकी है। सीएम शिवराज सिंह चौहान, एमपीपीईबी औप गृह विभाग को टैग करते हुए हैश टैग हैश टैग #Mppolicenotification के साथ ट्वीट किए जा रहे हैं। 


आयु सीमा 
न्यूनतम - 18 वर्ष और अधिकतम - 33 वर्ष । 
अनारक्षित वर्ग की महिलाओं, ओबीसी, एससी, एसटी वर्ग को अधिकतम आयु सीमा में 5 वर्ष की छूट दी जाएगी।
आयु सीमा की गणना 1 अगस्त 2020 से की जाएगी। 

चयन 
संभवत: अभ्यर्थियों का चयन लिखित परीक्षा और शारीरिक दक्षता परीक्षा (पीईटी) और शारीरिक मापतौल परीक्षा (पीएमटी) के आधार पर किया जाएगा



Sunday 5 January 2020

MP Primary TET Online Form 2020 Varg 3 Vacancy नोटिस Samvida Shikshak Bharti Notification

MP Primary TET Online Form 2020 Varg 3 Vacancy नोटिस Samvida Shikshak Bharti


Exam Deatils

Name of the Recruitment Department Professional Examination Board, Madhya Pradesh (MP Vyapam)
Advt. No. 13/2019-20
Name of Post Primary Teacher Varg 3 (Samvida Shikshak)
Name of Examination MP Primary TET Exam 2020
Applying Mode Online
Job Location Madhya Pradesh
Starting Date to Apply Online 6th January 2020
Last date of submission online Form 20th January 2020
Last date of correction in Application Form 25th January 2020
Article Category Recruitment
Official Website www.peb.mp.gov.in


 Eligibility Criteria For MP Primary School Teacher

Educational Qualification Candidates must pass 10+2 (Intermediate / 12th) Examination
with 50% Marks from a recognized board and 4 Years BL.Ed Degree OR
Passed 2 Year BTC / Special BTC Exam OR
B.Ed / Special B.Ed from a recognized University.


Age Limit Minimum Age Limit – 21 Years
Maximum Age Limit – 40 Years
For Age Relaxation – Read the Notification Details.


Selection Process Written Examination
Document Verification


Application Fee General/Other State – Rs. 570/-
Reserve Category – Rs 320 /-
Correction Charge – Rs. 70/-



Candidates can pay the exam fee through Net Banking,
Credit Card, Debit Card, MP Online KIOSK Fee Mode.



Important Dates

Events Dates
Online Application Form Commencement from  06-01-2020
 Last date of online Registration and Form Submission  20-01-2020
 Last date of pay examination fee  20-01-2020
 Application Form Correction Last Date  25 January 2020
Date of Examination Notify Soon



Sunday 8 December 2019

नागरिकता कानून पर विवाद क्यों? पहले क्या था और अब क्या? 10 पॉइंट में समझें





अनुच्छेद 370, NRC के बाद अब मोदी सरकार एक और बड़ा दांव चलने जा रही है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सोमवार को लोकसभा में नागरिकता संशोधन कानून को पेश करेंगे. इस बिल के तहत देश में आए शरणार्थियों को मिलने वाली नागरिकता को लेकर नियम पूरी तरह से बदल जाएंगे. केंद्र सरकार के इस कानून का विपक्षी पार्टियां विरोध कर रही हैं और इसे भारत के मूल नियमों के खिलाफ बता रही हैं. इस बिल में क्या विवादित है, पहले क्या था और अब क्या होने जा रहा है. जानें बिल से जुड़ी 10 बातें...



  • मोदी सरकार जो नया बिल ला रही है, उसे सिटिजन अमेंडमेंट बिल, 2019 नाम दिया गया है. इस बिल के आने से सिटिजन एक्ट, 1955 में बदलाव होगा.
  • मोदी सरकार के बिल के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान से आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने की बात कही गई है.
  • इसके साथ ही इन सभी शरणार्थियों को भारत में अवैध नागरिक के रूप में नहीं माना जाएगा. अभी के कानून के तहत भारत में अवैध तरीके से आए लोगों को उनके देश वापस भेजने या फिर हिरासत में लेने की बात है.
  • इन सभी शरणार्थियों को भारत में अब नागरिकता पाने के लिए कम से कम 6 साल का वक्त बिताना होगा. पहले ये समयसीमा 11 साल के लिए थी
  • अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और मिजोरम के इनर लाइन परमिट एरिया को इस बिल से बाहर रखा गया है. इसके अलावा ये बिल नॉर्थ ईस्ट के छठे शेड्यूल का भी बचाव करता है.
  • नए कानून के मुताबिक, अफगानिस्तान-बांग्लादेश-पाकिस्तान से आया हुआ कोई भी हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध, ईसाई नागरिक जो कि 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत में आया हो उसे अवैध नागरिक नहीं माना जाएगा.
  • इनमें से जो भी नागरिक OCI होल्डर है, अगर उसने किसी कानून का उल्लंघन किया है तो उसको एक बार उसकी बात रखने का मौका दिया जाएगा.
  • इस बिल का विपक्षी पार्टियां विरोध कर रही हैं और भारत के संविधान का उल्लंघन बता रही हैं. विपक्ष का कहना है कि केंद्र सरकार जो बिल ला रही है, वह देश में धर्म के आधार पर बंटवारा करेगा जो समानता के अधिकार के खिलाफ है.
  • पूर्वोत्तर में इस बिल का सबसे अधिक विरोध हो रहा है, पूर्वोत्तर के लोगों का मानना है कि जैसे राज्यों में बसते हैं ऐसे में ये पूर्वोत्तर राज्यों के लिए ठीक नहीं रहेगा. पूर्वोत्तर में कई छात्र संगठन, राजनीतिक दल इसके विरोध में हैं.
  • एनडीए में भारतीय जनता पार्टी की साथी असम गण परिषद ने भी इस बिल का विरोध किया है, बिल के लोकसभा में आने पर वह गठबंधन से अलग हो गई थी. हालांकि, कार्यकाल खत्म होने पर जब बिल खत्म हुआ तो वह वापस भी आई.

Tuesday 15 October 2019

अब्दुल कलाम के बारे में 10 खास बातें


एक विलक्षण व्यक्तित्व हमेशा के लिए अलविदा कह गया. भारत की 'अग्नि' मिसाइल को उड़ान देने वाले मशहूर वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम नहीं रहे. शिलॉन्ग आईआईएम में लेक्चर देते हुए उन्हें दिल का दौरा पड़ा. आनन-फानन में अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टर कुछ नहीं कर सके. 83 वर्ष के एक विलक्षण व्यक्तित्व हमेशा के लिए अलविदा कह गया. भारत की 'अग्नि' मिसाइल को उड़ान देने वाले मशहूर वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम नहीं रहे. शिलॉन्ग आईआईएम में लेक्चर देते हुए उन्हें दिल का दौरा पड़ा. आनन-फानन में अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टर कुछ नहीं कर सके. 83 वर्ष के ट्विटर पर उनका परिचय इस तरह है, 'साइंटिस्ट, टीचर, लर्नर, राइटर. भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में सेवाएं दीं. 2020 तक भारत को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने के लिए काम कर रहा हूं.'



जानिए कलाम के बारे में 10 खास बातें:

1. एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ.
2. पेशे से नाविक कलाम के पिता ज्यादा पढ़े लिखे नहीं थे. ये मछुआरों को नाव किराये पर दिया करते थे. पांच भाई और पांच बहनों वाले परिवार को चलाने के लिए पिता के पैसे कम पड़ जाते थे इसलिए शुरुआती शिक्षा जारी रखने के लिए कलाम को अखबार बेचने का काम भी करना पड़ा.

4. आठ साल की उम्र से ही कलाम सुबह 4 बचे उठते थे और नहा कर गणित की पढ़ाई करने चले जाते थे. सुबह नहा कर जाने के पीछे कारण यह था कि प्रत्येक साल पांच बच्चों को मुफ्त में गणित पढ़ाने वाले उनके टीचर बिना नहाए आए बच्चों को नहीं पढ़ाते थे. ट्यूशन से आने के बाद वो नमाज पढ़ते और इसके बाद वो सुबह आठ बजे तक रामेश्वरम रेलवे स्टेशन और बस अड्डे पर न्यूज पेपर बांटते थे.
5. कलाम ‘एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी’ में आने के पीछे अपनी पांचवी क्लास के टीचर सुब्रह्मण्यम अय्यर को बताते हैं. वो कहते हैं, ‘वो हमारे अच्छे टीचर्स में से थे. एक बार उन्होंने क्लास में पूछा कि चिड़िया कैसे उड़ती है? क्लास के किसी छात्र ने इसका उत्तर नहीं दिया तो अगले दिन वो सभी बच्चों को समुद्र के किनारे ले गए. वहां कई पक्षी उड़ रहे थे. कुछ समुद्र किनारे उतर रहे थे तो कुछ बैठे थे. वहां उन्होंने हमें पक्षी के उड़ने के पीछे के कारण को समझाया साथ ही पक्षियों के शरीर की बनावट को भी विस्तार पूर्वक बताया जो उड़ने में सहायक होता है. उनके द्वारा समझाई गई ये बातें मेरे अंदर इस कदर समा गई कि मुझे हमेशा महसूस होने लगा कि मैं रामेश्वरम के समुद्र तट पर हूं और उस दिन की घटना ने मुझे जिंदगी का लक्ष्य निर्धारित करने की प्रेरणा दी. बाद में मैंने तय किया कि उड़ान की दिशा में ही अपना करियर बनाउं. मैंने बाद में फिजिक्स की पढ़ाई की और मद्रास इंजीनियरिंग कॉलेज से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में पढ़ाई की.’
6. 1962 में कलाम इसरो में पहुंचे. इन्हीं के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहते भारत ने अपना पहला स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 बनाया. 1980 में रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के समीप स्थापित किया गया और भारत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गया. कलाम ने इसके बाद स्वदेशी गाइडेड मिसाइल को डिजाइन किया. उन्होंने अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलें भारतीय तकनीक से बनाईं.
7. 1992 से 1999 तक कलाम रक्षा मंत्री के रक्षा सलाहकार भी रहे. इस दौरान वाजपेयी सरकार ने पोखरण में दूसरी बार न्यूक्लियर टेस्ट भी किए और भारत परमाणु हथियार बनाने वाले देशों में शामिल हो गया. कलाम ने विजन 2020 दिया. इसके तहत कलाम ने भारत को विज्ञान के क्षेत्र में तरक्की के जरिए 2020 तक अत्याधुनिक करने की खास सोच दी गई. कलाम भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे.
8. 1982 में कलाम को डीआरडीएल (डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट लेबोरेट्री) का डायरेक्टर बनाया गया. उसी दौरान अन्ना यूनिवर्सिटी ने उन्हें डॉक्टर की उपाधि से सम्मानित किया. कलाम ने तब रक्षामंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. वीएस अरुणाचलम के साथ इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (आईजीएमडीपी) का प्रस्ताव तैयार किया. स्वदेशी मिसाइलों के विकास के लिए कलाम की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई.
9. इसके पहले चरण में जमीन से जमीन पर मध्यम दूरी तक मार करने वाली मिसाइल बनाने पर जोर था. दूसरे चरण में जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल, टैंकभेदी मिसाइल और रिएंट्री एक्सपेरिमेंट लॉन्च वेहिकल (रेक्स) बनाने का प्रस्ताव था. पृथ्वी, त्रिशूल, आकाश, नाग नाम के मिसाइल बनाए गए. कलाम ने अपने सपने रेक्स को अग्नि नाम दिया. सबसे पहले सितंबर 1985 में त्रिशूल फिर फरवरी 1988 में पृथ्वी और मई 1989 में अग्नि का परीक्षण किया गया. इसके बाद 1998 में रूस के साथ मिलकर भारत ने सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल बनाने पर काम शुरू किया और ब्रह्मोस प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की गई. ब्रह्मोस को धरती, आसमान और समुद्र कहीं भी दागी जा सकती है. इस सफलता के साथ ही कलाम को मिसाइल मैन के रूप में प्रसिद्धि मिली और उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया.
10. कलाम को 1981 में भारत सरकार ने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म भूषण और फिर, 1990 में पद्म विभूषण और 1997 में भारत रत्न प्रदान किया. भारत के सर्वोच्च पर पर नियुक्ति से पहले भारत रत्न पाने वाले कलाम देश के केवल तीसरे राष्ट्रपति हैं. उनसे पहले यह मुकाम सर्वपल्ली राधाकृष्णन और जाकिर हुसैन ने हासिल किया.

Monday 2 September 2019

कुछ बातें आपको पता है और कुछ आप अब तक नहीं जानते। कुछ ऐसे तथ्य हैं जिनका भरोसा करना है मुश्किल परंतु वे हैं एकदम सत्य। जानिए ऐसी ही रोचक बातें जो आपके सामान्य ज्ञान में करेंगी जबरदस्त वृद्धि..!

कुछ बातें आपको पता है और कुछ आप अब तक नहीं जानते। कुछ ऐसे तथ्य हैं जिनका भरोसा करना है मुश्किल परंतु वे हैं एकदम सत्य। जानिए ऐसी ही रोचक बातें जो आपके सामान्य ज्ञान में करेंगी जबरदस्त वृद्धि..!



1. दुनिया में 11 प्रतिशत लोग बाएं हाथ का इस्तेमाल करते हैं। 

2. अगस्त में सबसे ज्यादा लोग पैदा होते हैं। 

3. खाने का स्वाद उसमें सलाइवा (लार) मिलने के बाद ही आता है। 

4. औसतन लोग बिस्तर में जाने के 7 मिनिट में सो जाते हैं। 

5. भालू के 42 दांत होते हैं। 

6. शुतुरमुर्ग की आंख उसके दिमाग से बड़ी होती है। 

7. नींबू में स्ट्राबेरी के मुकाबले अधिक शक्कर होती है। 

8. आठ प्रतिशत लोगों में एक अतिरिक्त पसली होती है। 

9. दुनिया के 85 प्रतिशत पौधे समुद्र के अंदर होते हैं।

10. हवायन अल्फाबेट सिर्फ 13 होते हैं। 

11. मिक्की माउस का इटली में नाम टोपोलिनो है। 

12. एक केकड़े का खून रंगहीन होता है। ऑक्सीजन मिलने के बाद यह नीला हो जाता है। 

13. पक्षियों को निगलने के लिए ग्रेविटी की जरूरत होती है। 

14. अंग्रेजी अल्फाबेट का सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला लेटर E है।

15. विश्व की दो सबसे अधिक कॉमन इस्तेमाल होने वाली भाषाएं मैंड्रियन चायनीज, स्पैनिश और अंग्रेजी है।
16. बिल्ली के हर कान में 32 मसल्स होते हैं। 

17. पर्थ ऑस्ट्रेलिया का ऐसा शहर है जहां सबसे तेज हवा बहती है। 

18. इंसान की सबसे छोटी हड्डी कान में होती है। 

19. बिल्लियां अपनी जिंदगी का 66 प्रतिशत हिस्सा सोते हुए गुजारती हैं। 

20. स्विट्जरलैंड में दुनिया में सबसे अधिक चॉकलेट खाई जाती है। यहां हर व्यक्ति एक साल में 10 किलो के औसत से चॉकलेट खाता है।


बने रहिये हमारे साथ हम वापस आयंगे और भी रोचक बाते ले कर

Monday 22 July 2019

जानिए दिल्ली के बटला हाउस एनकाउंटर की पूरी कहानी

जानिए दिल्ली के बटला हाउस एनकाउंटर की पूरी कहानी

दिल्ली की एक अदालत ने बटला हाउस मुठभेड़ मामले में इंडियन मुजाहिद्दीन के संदिग्ध शहजाद अहमद को गुरुवार को एक पुलिस निरीक्षक की हत्या और अन्य अधिकारियों पर हमले के लिए दोषी ठहराया। अदालत सोमवार को इस मामले में सजा सुनाएगी।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राजेंद्र कुमार शास्त्री ने कहा कि उसे (शहजाद) पुलिस निरीक्षक एमसी शर्मा की हत्या और हेड कांस्टेबल बलवंत सिंह तथा राजबीर सिंह की हत्या के प्रयास के जुर्म में दोषी ठहराया जाता है। उन्होंने कहा कि उसे पुलिस अधिकारियों पर हमला करने और उनकी ड्यूटी में बाधा पहुंचाने के जुर्म में भी दोषी ठहराया जाता है।
न्यायाधीश ने शहजाद को दोषी ठहराने के बाद कहा कि इस मामले में उसे सोमवार (29 जुलाई) को सजा सुनाई जाएगी। अदालत ने शहजाद को हत्या, हत्या के प्रयास, लोक सेवकों पर हमला करने, बाधा पहुंचाने तथा पुलिसकर्मियों को गंभीर रूप से घायल करके उन्हें उनकी ड्यूटी से रोकने का दोषी पाया।
हालांकि अदालत ने शहजाद को भारतीय दंड संहिता की धारा 174ए के तहत आरोप से बरी कर दिया। यह धारा अदालत द्वारा विशेष समय पर विशेष स्थान पर बुलाये जाने के बाद ऐसा करने में नाकाम रहने से जुड़ी है। मुठभेड़ का यह मामला 19 सितंबर 2008 को दिल्ली के जामिया नगर इलाके के बटला हाउस के फ्लैट संख्या एल18 का है। इस मुठभेड़ से छह दिन पहले राजधानी में सीरियल ब्लास्ट हुए थे, जिसमें 26 लोग मारे गये थे और 133 घायल हुए थे।
13 सितंबर 2008 को दिल्ली के करोल बाग, कनाट प्लेस, इंडिया गेट व ग्रेटर कैलाश में सीरियल बम धमाके हुए थे। इन बम धमाकों में 26 लोग मारे गए थे, जबकि 133 घायल हो गए थे। दिल्ली पुलिस ने जांच में पाया था कि बम ब्लास्ट को आतंकी गुट इंडियन मुजाहिद्दीन ने अंजाम दिया है। घटना के 6 दिन बाद 19 सितंबर को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को सूचना मिली थी कि इंडियन मुजाहिद्दीन के पांच आतंकी बटला हाउस स्थित एक मकान में मौजूद हैं।





आइये सिलसिलेवार तरीके से समझते हैं इस पूरे एनकाउंटर की कहानी को...

13 सितंबर 2008
दिल्ली में पांच सिलसिलेवार बम धमाके हुए, जिनमें 26 लोग मारे गए और सौ से अधिक घायल हुए।

19 सितंबर 2008
दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा के नेतृत्व में विशेष टीम और जामिया नगर के बटला हाउस के एल-18 मकान में छिपे इंडियन मुजाहिद्दीन के कथित आतंकवादियों में मुठभेड़ हुई। पुलिस ने दावा किया कि मुठभेड़ में दो कथित चरमपंथी मारे गए, दो गिरफ़्तार किए गए और एक फ़रार हो गया। इन्हें दिल्ली धमाकों के लिए ज़िम्मेदार बताया गया।

19 सितंबर 2008
मुठभेड़ में घायल इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा को नजदीकी होली फैमिली अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां आठ घंटे इलाज के बाद उनकी मौत हो गई। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक़ उन्हें पेट, जांघ और दाहिने हाथ में गोली लगी थी। उनकी मौत अधिक खून बहने के कारण हुई। पुलिस ने मोहन चंद्र शर्मा की मौत के लिए शहज़ाद अहमद को ज़िम्मेदार ठहराया

21 सितंबर 2008
पुलिस ने कहा कि उसने इंडियन मुजाहिदुदीन के तीन कथित चरमपंथियों और बटला हाउस के एल-18 मकान की देखभाल करने वाले व्यक्ति को गिरफ़्तार किया। दिल्ली में हुए विस्फोटों के आरोप में पुलिस ने कुल 14 लोग गिरफ़्तार किए। ये गिरफ़्तारियां दिल्ली और उत्तर प्रदेश से की गईं। मानवाधिकार संगठनों ने बटला हाउस एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मामले की न्यायिक जांच की माँग की।

21 मई 2009
दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से पुलिस के दावों की जांच कर दो महीने में रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा।

22 जुलाई 2009
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष अपनी रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट में दिल्ली पुलिस को क्लीन चिट दी गई।

26 अगस्त 2009
दिल्ली हाईकोर्ट ने एनएचआरसी की रिपोर्ट स्वीकार करते हुए न्यायिक जांच से इनकार किया।

30 अक्टूबर 2009
हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की गई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी न्यायिक जांच से इंकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले की जांच से पुलिस का मनोबल प्रभावित होगा।

19 सितंबर 2011
बटला हाउस एनकाउंटर के दो साल पूरे होने पर दिल्ली की जामा मस्जिद के पास मोटर साइकिल सवारों ने विदेशी पर्यटकों पर गोलीबारी की। इसमें दो ताइवानी नागरिक घायल हुए।


6 फरवरी 2010
पुलिस इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा की मौत के सिलसिले में पुलिस ने शहज़ाद अहमद को गिरफ़्तार किया।

20 जुलाई 2013
अदालत ने शहज़ाद अहमद के मामले में सुनवाई पूरी करने के बाद फ़ैसला सुरक्षित किया।


25 जुलाई 2013 
अदालत ने शहजाद अहमद को दोषी क़रार दिया।


विवाद


  • - कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने एनकाउंटर को फर्जी बताकर विवाद को जन्म दिया, हालांकि उनकी ही पार्टी ने उनके इस बयान से किनारा कर लिया।
  • - समाजवादी पार्टी ने भी एनकाउंटर में पुलिस की भूमिका पर शक जताते हुए न्यायिक जांच की मांग की। मगर तत्कालीन गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने एनकाउंटर को वास्तविक बताते हुए मामले को फिर खोलने से इनकार कर दिया।
  • - एनकाउंटर के खिलाफ प्रदर्शन के लिए कई सामाजिक और गैरसरकारी संगठन सड़कों पर उतर आए।
  • - पुलिस पर फर्जी एनकाउंटर करने का आरोप लगा। एक एनजीओ की मांग पर दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को निर्देश दिया कि वह एनकाउंटर में पुलिस की भूमिका की जांच करे और 2 महीने के भीतर रिपोर्ट दे। अपनी रिपोर्ट में एनएचआरसी ने पुलिस को क्लीन चिट दी, जिसे स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने मामले में न्यायिक जांच की मांग ठुकरा दी।
  • -केस की सुनवाई के दौरान शहजाद के वकील ने अदालत में दलील दी थी की पुलिस के पास ऐसा कोई सबूत नहीं है जो ये साबित करता हो कि एनकाउंटर के वक़्त शहजाद मौके पर मौजूद था। शहजाद के वकील ने पुलिस की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि शहजाद का पासपोर्ट बटला हाउस के मकान नंबर एप-18 से मिला था।
  • -वकील ने दावा किया कि पुलिस ने पासपोर्ट गलत तरीके से हासिल किया था और इसी वजह से बरामदगी के दौरान किसी गवाह के हस्ताक्षर नहीं हैं। शहजाद के वकील ने ये सवाल भी उठाया है कि जब पुलिस ने एनकाउंटर के दौरान मकान नंबर एल 18 को चारों तरफ से घेर रखा था, तो शहजाद वहां से भाग कैसे गया।